Wednesday 13 April 2016

अल्फ्रेड नोबेल (Alfred Nobel)

अल्फ्रेड नोबेल का जन्म 1833 में स्वीडन की राजधानी स्टाकहोम में हुआ था। वह अपने जीवन के प्रारंभ से ही खोजी स्वभाव के थे।

अल्फ्रेंड पढऩे लिखने में अधिक रूचि नहीं लेते थे, लेकिन उन्हें नई खोज करने का बेहद शौक था। अल्फ्रेंड के पिता विस्फोटकों के जाने माने विशेषज्ञ थे। उनका पुश्तैनी गांव नोविलोव था।अल्फ्रेंड के पिता एक प्रसिद्घ व्यापारी थे। एक बार उन्हें अपने व्यापार में घाटा आ गया। तब वह स्वीडन को छोडक़र रूस चले गये। वहां जाने पर उनका व्यापार पुन: चल निकला और वह वहीं बस गये। लेकिन उनकी कई संतानों में से एक बेटा अल्फ्रेंड नोबेल रूस छोडक़र पुन: स्वीडन आ गये। यहां आकर उसने भी अपना बिजनैस किया जिससे वे बहुत बड़े व्यापारी बन गये। अल्फ्रेड व्यापारी के साथ साथ एक अच्छे वैज्ञानिक भी थे। उनके साथ यह अद्भुत संयोग था कि वह व्यापारी भी थे और वैज्ञानिक भी।
             अल्फ्रेंड नोबेल ने अपने खोजी दिमाग से एक ज्वलनशील पदार्थ इग्नाहूटर की खोज की जिससे उनका नाम दूर दूर तक फैल गया।
बाद में उन्होंने पहाड़ों को तोडऩे वाले विस्फोटक पदार्थ डायनामाइट की खोज की और भरपूर प्रसिद्धि प्राप्त की।
अल्फ्रेंड को घूमने फिरने में बड़ा आनंद और सुख मिलता था। यूरोप में उन्हें प्रकृति प्रेमी और सबसे बड़े धनी के रूप में लोग जानते थे।
उन्होंने प्रकृति के दृश्यों को अपनी नजरों में कैद करने के लिए दूर दूर की यात्राएं कीं।
अल्फ्रेड नोबेल आजीवन अविवाहित रहे थे।
प्रतिभा उनके सिर चढक़र बोल रही थी और नियति उनसे कोई अनोखा और अद्भुत कार्य कराने के लिए दबाव बना रही थी।
इसलिए उन्होंने अपनी अथाह संपत्ति के सुनियोजन के लिए अपने जीवन काल में एक वसीयत लिखी। जिसमें उन्होंने अपनी संपत्ति के निपटारे का उल्लेख किया।
वसीयत में उन्होंने लिखा कि उनकी संपत्ति की देखभाल एक ट्रस्ट करेगा। वह ट्रस्ट इस धन को व्यापार में लगाएगा, और उससे प्राप्त आय को विश्व के उन व्यक्तियों को पुरस्कार स्वरूप प्रदान करेगा जो भौतिकी, रसायन,चिकित्सा,अर्थव्यवस्था, साहित्य और विश्वशांति के क्षेत्र में सर्वोत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। उनकी मृत्यु के उपरांत उनकी इच्छा के अनुसार एक फाउंडेशन का गठन किया गया। जिसने 29 जून 1900 से अपना कार्य करना आरंभ किया। अल्फ्रेंड नोबेल के परोपकारी और गौरवमयी जीवन का अंत दस दिसंबर 1896 को इटली के सानरेमो नगर में हो गया था।
जाने से पहले उन्होंने अपनी अन्त:प्रेरणा से संसार के लिए एक ज्योति जलाई और लोगों को प्रेरित किया कि यदि आप विश्व शांति के लिए या उपरोक्त वर्णित अन्य क्षेत्रों में विशेष कार्य करेंगे तो आप भी मेरी संपत्ति के निश्चित अंश के मेरे बाद मालिक होंगे।
एक तरह से नोबेल की यह वसीयत अनन्तकाल तक के लिए है। यह विश्व की अनोखी वसीयत है जिसका दावेदार दुनिया का हर आदमी हो सकता है। यही कारण है कि लोग पुरस्कार की चाह में सर्वोत्कृष्ट मानवीय कार्य करने का प्रयास करते रहते हैं। लोगों का प्रयास होता है कि कुछ न कुछ ऐसा किया जाए जो मानवता के हित में हो और जो उसे नोबेल पुरस्कार का पात्र बना दे।अल्फ्रेंड नोबेल की संपत्ति का मूल्यांकन जून 1900 में 3.1 करोड़ क्रोनर था। एक क्रोनर 50 रूपये का था। भारतीय मुद्रा में नोबेल पुरस्कार की राशि पांच करोड रूपये है। अभी तक 650 से अधिक लोग नोबेल पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि पर प्रतिवर्ष दस दिसंबर को स्वीडन व नार्वे दोनों देशों में यह पुरस्कार दिया जाता है।
1969 से इस पुरस्कार में आर्थिक क्षेत्र में की गयी विशेष सेवाओं वाले व्यक्तियों को भी सम्मिलित कर लिया गया है। इस पुरस्कार से सम्मानित विभूतियां सचमुच मानवता की धरोहर होती हैं।

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